वानस्पतिक नाम:- पैनीसेटम परफ्यूरियम (Pennisetum purpurium)
कुल:- ग्रैमिनी (Gramineae)
महत्व:-
इसका चारा पशुओं को काटकर खिलाया जाता हैं । इसका चारा पशुओं के लिए उस समय काम आता हैं जब अन्य चारा कम मात्रा मे उपलब्ध होते हैं । इसकी कई कटाई ली जाने के कारण काफी मात्रा मे चारा प्राप्त होता हैं । इससे पशु के लिए हे (Hay) भी तैयार की जाती हैं । यह पौष्टिक चारा हैं । लुर्सन व बरसीम के साथ मिलाकर खिलाने पर जानवर इस घास को अधिक चाव से खाते हैं ।
फसल कम तापक्रम पर सर्दियों में 3-4 महीने सुषुप्ता अवस्था में रहती हैं । इस समय में नेपियर घास के साथ बरसीम या लुर्सन मिलाकर बोते हैं । इन दिनों मे नेपियर के कल्ले बरसीम व लुर्सन के साथ नही काटने चाहिये । गन्ने की फसल की तरह नेपियर घास भी उत्तरी भारत की जलवायु बीज बनने के उपयुक्त नही हैं । जनवरी और फरवरी मे फूल आते हैं पर बीज नही बनते हैं । बीज बाजरे की तरह के होते हैं । ग्रीन हाउस मे बीज तैयार कर सकते हैं ।
नेपियर घास मे ऑक्सैलिक अम्ल की मात्रा कुछ अधिक होती हैं । इलसिए नेपियर घास को ग्वार या लोबिया के साथ मिलाकर पशुओं को खिलाना चाहिये ।
जलवायु:-
जहाँ तापक्रम अधिक रहता हो, वर्षा अधिक होती हो और वायुमण्डल मे आद्रता की मात्रा अधिक रहती हो, वे क्षेत्र नेपियर घास की खेती के लिए सर्वोत्तम माने जाते हैं । लगभग 200 सेमी० वार्षिक वाले क्षेत्र इसकी खेती के लिए उत्तम हैं । अधिक ठण्डी जलवायु मे फसल की अच्छी वृद्धि होती हैं । पाले का इस पर बहुत हानिकारक प्रभाव पड़ता हैं ।
भूमि:-
इसे विभिन्न प्रकार की भूमि मे उगा सकते हैं । परन्तु फसल की उपज भारी भूमियों की अपेक्षा हल्की भूमि मे अधिक होती हैं । उत्तम उपज के लिए दोमट अथवा बलुअर दोमट मृदा उपयुक्त हैं ।
खेत की तैयारी:- खेत की तैयार के लिए पहली जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से की जाती हैं। इसके बाद 2-5 जुताइयाँ देशी हल से करते हैं। मिट्टी को भुरभुरा करने के लिए प्रत्येक जुताई के बाद पाटे का प्रयोग किया जाता हैं। भारत मे नेपियर घास की फसल रबी की फसल की कटाई के पश्चात खरीफ ऋतु मे तथा बसन्त ऋतु (फरवरी - मार्च) में बोई जाती हैं । अत: इन्ही के आधार पर खेती की तैयारी की जाती हैं।
जातियाँ:-
पूसा जाइन्ट नेपियर:- {(नेपियर X बाजरा का संकरण) IARI से विकसित हैं ।} इसका चारा उत्तम गुण वाला हटा होता हैं । प्रोटीन व शर्करा अधिक मात्रा में पाया जाता हैं । चारा मुलायम, अधिक पत्तीदार होता हैं । सहन करने की क्षमता अधिक होती हैं । इसकी जड़ छोटी व उथली हुई होती हैं । जिसके कारण आगामी फसल के लिये खेत की तैयारी में कोई बाधा नही होती हैं ।
पूसा नेपियर-1:- सर्दी में चारा देती हैं । IARI से विकसित
पूसा नेपियर-2:- सर्दी में चारा देती हैं । IARI से विकसित
नेपियर बाजरा हाइब्रिड 'NB-21':- 1500-1800/ वर्ष पौधे लंबे, शीघ्र बढ़ने वाले व पत्तियाँ लम्बी, पतली, चिकनी तथा तना पतला , रोएँ नही होते हैं । कल्ले अधिम मात्रा में बनते हैं । पहली कटाई बोने के 50-60 दिन बाद व अन्य कटाई 35-40 दिन के अन्तराल पर करते हैं । यह बहुवर्षीय घास एक बार रोपने के बाद 2-3 वर्ष तक चारा देती हैं । नवम्बर से फरवरी तक कोई वृद्धि नही होती हैं ।
उपरोक्त सभी जातियाँ बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, व पंजाब के लिये उपयुक्त हैं ।
संकर नस्ल का बीज बांझ होता हैं । एक झुंड में 50 तक कल्ले फूटते हैं । अन्य जातियाँ गजराज, NB-6, NB--17, NB-25, NB-393, NB-8-95, PNB-87, PNB-72, PNB--94, IGFRI-6, IGFRI-7 व RBN-9 विकसित की गई हैं ।
बुवाई का समय :-
वर्षा ऋतु की बुवाई :- जिन स्थानों पर सिचाई की सुविधाएं उपलब्ध नही होती हैं । वहाँ पर नेपियर घास की बुवाई वर्षा ऋतु में जुलाई से अगस्त तक की जाती हैं ।
बसन्त ऋतु की बुवाई:-नेपियर घास की बुवाई का यह सबसे उत्तम समय (फरवरी से मार्च) होता हैं । परन्तु इस समय फसल की बुवाई उन स्थानों पर की जाती हैं जहाँ सिचाई की सुविधायें उपलब्ध हों ।
बोने का ढंग एवं बीज की मात्रा:-नेपियर घास के बीज में भी अंकुरण शक्ति होती हैं । परन्तु बीज की बुवाई करके उगाई गयी फसल में पौधों की वृद्धि अच्छी नही होती हैं । इसलिए नेपियर की बुवाई वानस्पतिक प्रसारण (Vegetative Propagation) विधि से की जाती हैं । इस प्रसारण विधि में फसल उगाने के लिए निम्नलिखित तीन पदार्थों का प्रयोग किया जा सकता हैं-
1- भूमिगत तने जिन्हें राइज़ोम (Rhizomes) कहते हैं ।
2- जडौधौं द्वारा (Root Slip)
3- तने के टुकड़ों द्वारा (Stem Cuting)
इन पदार्थों में जड़ौधों पर्याप्त मात्रा मे मिलना कठिन होता हैं । और श्रम भी अधिक लगता हैं । निम्न विधियों द्वारा खेत मे लगाया जाता हैं
कुंडों में बुवाई (Furrow Sowing):-खेत को अच्छी तरह से तैयार करते हैं । खेत में उपयुक्त मात्रा मे नमी होनी चाहिए । 90 सेमी० की दूरी पर हल से कूँड़ बनाकर कूँड़ मे टुकड़े डाल देते हैं और पटेला लगाकर उसे ढ़क देते हैं । 10-15 दिन बाद जब टुकड़े उग जाते हैं तब खेत की सिचाई कर देते हैं । इस विधि में 7 - 10 हजार तने के टुकड़े प्रति हेक्टेयर की आवश्यकता हैं । 10 - 15 कुंतल जडौधौं (4 -5 हजार जड़ों के टुकड़े) या तनों के टुकड़े प्रति हेक्टेयर तक बोने के काम आते हैं ।
45 अंश के कोण पर राइज़ोम अथवा तनों के टुकड़ों को गाड़ना:- इस विधि में खेत मे लगभग 50 सेमी० की दूरी पर हल से कूँड़ बनाये जाते हैं । इन कूँड़ों में 45 अंश का कोण बनाते हुये टुकड़े इस प्रकार गाड़े जाते हैं कि झुकाव उत्तर कि तरफ रहे तथा टुकड़े में उपस्थित दो कली में से एक कली भूमि के अन्दर रहे जिससे जड़ें निकाल सके तथा दूसरी कली भूमि के ऊपर रहनी चाहिये जिससे शाखा उत्पन्न हो सके । टुकड़ों का झुकाव उत्तर कि और इसलिए करते हैं जिससे वर्षा ऋतु में बोई गयी फसल पर वर्षा कि हानिकारक प्रभाव ना पड़े । खेत में टुकड़े लगाने के पश्चात शीघ्र ही खेत ही खेत में सिचाई कर देनी चाहिये । बाद मे कूँड़ों पर मिट्टी चढ़ाकर मेंड़ बना देनी चाहिये ।
बुआई करने से पहले राइज़ोम और तना छोटे-छोटे टुकड़ों मे काटा जाता हैं । इसमे एक टुकड़े पर कम से कम से 2 स्वस्थ कलियाँ अवश्य उपस्थित हो । जडौधौं कि बुआई 7-8 सेमी० कि गहराई पर करते हैं ।
खाद:-
नेपियर घास अधिक मात्रा मे उपज देने के कारण अधिक मात्रा में भूमि से पोषक तत्व शोषित करता हैं । पौधों की अच्छी वृद्धि एवं अधिक उत्पादन के लिए पर्याप्त मात्रा में भूमि में पोषक तत्व विभिन्न खाद एवं उर्वरकों द्वारा देना चाहिये । सामान्य अवस्था में 120-150 किलोग्राम नाइट्रोजन और 50-70 किलोग्राम फास्फोरस प्रति वर्ष फसल मे देना चाहिये । भारतीय भूमि में पोटाश पर्याप्त मात्रा में पाया जाता हैं इसलिए नेपियर घास को पोटाश देने की आवश्यकता नही होती हैं । नाइट्रोजन और फास्फोरस की कुछ मात्रा फसल को गोबर की खाद से देना चाहिये । गोबर की खाद का प्रयोग खेत की तैयारी के समय करते हैं । नाइट्रोजन व फास्फोरस की आधी मात्रा का प्रयोग अमोनियम सल्फ़ेट और सुपर फास्फेट से करना बहुत अधिक लाभदायक हैं । अमोनियम सल्फ़ेट का प्रयोग टॉप ड्रेसिंग के रूप में प्रत्येक कटाई के बाद करना चाहिये । जिससे पौधों को नाइट्रोजन प्राप्त होता रहे । सुपर फास्फेट की सम्पूर्ण मात्रा का प्रयोग फसल की बुआई के समय प्रथम वर्ष में किया जाता हैं ।
सिचाई:-अच्छी उपज लेने के लिए खेत मे नमी पर्याप्त मात्रा मे होनी चाहिये । विशेषत: शीतकाल में पाले से बचाने के लिये गर्मी मे सूखे से बचाने के लिये प्रति कटाई के बाद इसमें सिचाई कर देनी चाहिये । हल्की भूमि में भारी भूमि की अपेक्षा सिचाई जल्दी करनी चाहिये ।वर्षा ऋतु में सिचाई की जरूरत नही होती हैं । ग्रीष्मकाल में 10-12 दिन और अन्य मौसम मे 20-25 दिन मे सिचाई करते हैं ।
मिश्रित खेती व फसल चक्र:-नेपियर घास में ऑक्जैलिक अम्ल की मात्रा अधिक होती हैं । ऑक्जैलिक अम्ल की मात्रा को कम करने के लिये इसके साथ दलहन फसल को मिश्रित रूप मे उगाते हैं । मिश्रित फसल में दो लाइन के बीच 2.0 मीटर का अन्तर रखना चाहिये । रबी में बरसीम, लुर्सन, जापानी सरसों, मैंथीं, जई, सैंजी, जौं व मटर तथा गर्मियों में लोबिया व ग्वार इस फसल के साथ मिश्रित रूप में उगा सकते हैं ।
निराई-गुड़ाई:-बुआई के 15 दिन बाद अन्धी गुड़ाई करनी चाहिये । प्रत्येक कटाई के करने के बाद देशी हल, कल्टीवेटर या फावड़े से निराई-गुड़ाई करते हैं जिससे खरपतवार नष्ट हो जाता हैं । निराई-गुड़ाई करने से खेत में पानी सोखने की शक्ति बढ़ जाती हैं । फसल की बढ़वार अच्छी होती हैं ।
कटाई:-सिचाई एवं उर्वरता का उचित रूप से प्रयोग करने पर नेपियर घास की प्रथम कटाई बुआई के लगभग 70-80 दिन बाद करते हैं । फसल की कटाई में एक बात का विशेष रखना चाहिये कि जब पौधे कि कटाई करे तब पौधा एक मीटर से अधिक ऊंचाई का ना हों । पौधे अधिक बढ़ जाने पर बहुत अधिक कड़े हो जाते हैं और अधिक पौष्टिक नही रहते हैं । और फसल कि शीघ्र कटाई करने पर फसल कि उपज पर प्रभाव पड़ता हैं । फसल कि अन्य कटाई 6-7 सप्ताह के अन्तर से कि जाती हैं । पौधे कि कटाई भूमि कि सतह से 8-10 सेमी० ऊपर से करे । सामान्य अवस्था में प्रतिवर्ष लगभग ४-६ कटाई मिल जाती हैं । फसल को दो तीन साल से अधिक समय तक एक खेत में नही रखना चाहिये ।
उपज:-नेपियर घास के हरे चारे कि उपज साधारणतया 00-1000 कुंतल/ हेक्टेयर होती हैं । परन्तु अच्छी फसल से 2500 कुंतल/हेक्टेयर उपज प्राप्त हो जाती हैं ।
कुल:- ग्रैमिनी (Gramineae)
महत्व:-
इसका चारा पशुओं को काटकर खिलाया जाता हैं । इसका चारा पशुओं के लिए उस समय काम आता हैं जब अन्य चारा कम मात्रा मे उपलब्ध होते हैं । इसकी कई कटाई ली जाने के कारण काफी मात्रा मे चारा प्राप्त होता हैं । इससे पशु के लिए हे (Hay) भी तैयार की जाती हैं । यह पौष्टिक चारा हैं । लुर्सन व बरसीम के साथ मिलाकर खिलाने पर जानवर इस घास को अधिक चाव से खाते हैं ।
फसल कम तापक्रम पर सर्दियों में 3-4 महीने सुषुप्ता अवस्था में रहती हैं । इस समय में नेपियर घास के साथ बरसीम या लुर्सन मिलाकर बोते हैं । इन दिनों मे नेपियर के कल्ले बरसीम व लुर्सन के साथ नही काटने चाहिये । गन्ने की फसल की तरह नेपियर घास भी उत्तरी भारत की जलवायु बीज बनने के उपयुक्त नही हैं । जनवरी और फरवरी मे फूल आते हैं पर बीज नही बनते हैं । बीज बाजरे की तरह के होते हैं । ग्रीन हाउस मे बीज तैयार कर सकते हैं ।
नेपियर घास मे ऑक्सैलिक अम्ल की मात्रा कुछ अधिक होती हैं । इलसिए नेपियर घास को ग्वार या लोबिया के साथ मिलाकर पशुओं को खिलाना चाहिये ।
जलवायु:-
जहाँ तापक्रम अधिक रहता हो, वर्षा अधिक होती हो और वायुमण्डल मे आद्रता की मात्रा अधिक रहती हो, वे क्षेत्र नेपियर घास की खेती के लिए सर्वोत्तम माने जाते हैं । लगभग 200 सेमी० वार्षिक वाले क्षेत्र इसकी खेती के लिए उत्तम हैं । अधिक ठण्डी जलवायु मे फसल की अच्छी वृद्धि होती हैं । पाले का इस पर बहुत हानिकारक प्रभाव पड़ता हैं ।
भूमि:-
इसे विभिन्न प्रकार की भूमि मे उगा सकते हैं । परन्तु फसल की उपज भारी भूमियों की अपेक्षा हल्की भूमि मे अधिक होती हैं । उत्तम उपज के लिए दोमट अथवा बलुअर दोमट मृदा उपयुक्त हैं ।
खेत की तैयारी:- खेत की तैयार के लिए पहली जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से की जाती हैं। इसके बाद 2-5 जुताइयाँ देशी हल से करते हैं। मिट्टी को भुरभुरा करने के लिए प्रत्येक जुताई के बाद पाटे का प्रयोग किया जाता हैं। भारत मे नेपियर घास की फसल रबी की फसल की कटाई के पश्चात खरीफ ऋतु मे तथा बसन्त ऋतु (फरवरी - मार्च) में बोई जाती हैं । अत: इन्ही के आधार पर खेती की तैयारी की जाती हैं।
जातियाँ:-
पूसा जाइन्ट नेपियर:- {(नेपियर X बाजरा का संकरण) IARI से विकसित हैं ।} इसका चारा उत्तम गुण वाला हटा होता हैं । प्रोटीन व शर्करा अधिक मात्रा में पाया जाता हैं । चारा मुलायम, अधिक पत्तीदार होता हैं । सहन करने की क्षमता अधिक होती हैं । इसकी जड़ छोटी व उथली हुई होती हैं । जिसके कारण आगामी फसल के लिये खेत की तैयारी में कोई बाधा नही होती हैं ।
पूसा नेपियर-1:- सर्दी में चारा देती हैं । IARI से विकसित
पूसा नेपियर-2:- सर्दी में चारा देती हैं । IARI से विकसित
नेपियर बाजरा हाइब्रिड 'NB-21':- 1500-1800/ वर्ष पौधे लंबे, शीघ्र बढ़ने वाले व पत्तियाँ लम्बी, पतली, चिकनी तथा तना पतला , रोएँ नही होते हैं । कल्ले अधिम मात्रा में बनते हैं । पहली कटाई बोने के 50-60 दिन बाद व अन्य कटाई 35-40 दिन के अन्तराल पर करते हैं । यह बहुवर्षीय घास एक बार रोपने के बाद 2-3 वर्ष तक चारा देती हैं । नवम्बर से फरवरी तक कोई वृद्धि नही होती हैं ।
उपरोक्त सभी जातियाँ बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, व पंजाब के लिये उपयुक्त हैं ।
संकर नस्ल का बीज बांझ होता हैं । एक झुंड में 50 तक कल्ले फूटते हैं । अन्य जातियाँ गजराज, NB-6, NB--17, NB-25, NB-393, NB-8-95, PNB-87, PNB-72, PNB--94, IGFRI-6, IGFRI-7 व RBN-9 विकसित की गई हैं ।
बुवाई का समय :-
वर्षा ऋतु की बुवाई :- जिन स्थानों पर सिचाई की सुविधाएं उपलब्ध नही होती हैं । वहाँ पर नेपियर घास की बुवाई वर्षा ऋतु में जुलाई से अगस्त तक की जाती हैं ।
बसन्त ऋतु की बुवाई:-नेपियर घास की बुवाई का यह सबसे उत्तम समय (फरवरी से मार्च) होता हैं । परन्तु इस समय फसल की बुवाई उन स्थानों पर की जाती हैं जहाँ सिचाई की सुविधायें उपलब्ध हों ।
बोने का ढंग एवं बीज की मात्रा:-नेपियर घास के बीज में भी अंकुरण शक्ति होती हैं । परन्तु बीज की बुवाई करके उगाई गयी फसल में पौधों की वृद्धि अच्छी नही होती हैं । इसलिए नेपियर की बुवाई वानस्पतिक प्रसारण (Vegetative Propagation) विधि से की जाती हैं । इस प्रसारण विधि में फसल उगाने के लिए निम्नलिखित तीन पदार्थों का प्रयोग किया जा सकता हैं-
1- भूमिगत तने जिन्हें राइज़ोम (Rhizomes) कहते हैं ।
2- जडौधौं द्वारा (Root Slip)
3- तने के टुकड़ों द्वारा (Stem Cuting)
इन पदार्थों में जड़ौधों पर्याप्त मात्रा मे मिलना कठिन होता हैं । और श्रम भी अधिक लगता हैं । निम्न विधियों द्वारा खेत मे लगाया जाता हैं
कुंडों में बुवाई (Furrow Sowing):-खेत को अच्छी तरह से तैयार करते हैं । खेत में उपयुक्त मात्रा मे नमी होनी चाहिए । 90 सेमी० की दूरी पर हल से कूँड़ बनाकर कूँड़ मे टुकड़े डाल देते हैं और पटेला लगाकर उसे ढ़क देते हैं । 10-15 दिन बाद जब टुकड़े उग जाते हैं तब खेत की सिचाई कर देते हैं । इस विधि में 7 - 10 हजार तने के टुकड़े प्रति हेक्टेयर की आवश्यकता हैं । 10 - 15 कुंतल जडौधौं (4 -5 हजार जड़ों के टुकड़े) या तनों के टुकड़े प्रति हेक्टेयर तक बोने के काम आते हैं ।
45 अंश के कोण पर राइज़ोम अथवा तनों के टुकड़ों को गाड़ना:- इस विधि में खेत मे लगभग 50 सेमी० की दूरी पर हल से कूँड़ बनाये जाते हैं । इन कूँड़ों में 45 अंश का कोण बनाते हुये टुकड़े इस प्रकार गाड़े जाते हैं कि झुकाव उत्तर कि तरफ रहे तथा टुकड़े में उपस्थित दो कली में से एक कली भूमि के अन्दर रहे जिससे जड़ें निकाल सके तथा दूसरी कली भूमि के ऊपर रहनी चाहिये जिससे शाखा उत्पन्न हो सके । टुकड़ों का झुकाव उत्तर कि और इसलिए करते हैं जिससे वर्षा ऋतु में बोई गयी फसल पर वर्षा कि हानिकारक प्रभाव ना पड़े । खेत में टुकड़े लगाने के पश्चात शीघ्र ही खेत ही खेत में सिचाई कर देनी चाहिये । बाद मे कूँड़ों पर मिट्टी चढ़ाकर मेंड़ बना देनी चाहिये ।
बुआई करने से पहले राइज़ोम और तना छोटे-छोटे टुकड़ों मे काटा जाता हैं । इसमे एक टुकड़े पर कम से कम से 2 स्वस्थ कलियाँ अवश्य उपस्थित हो । जडौधौं कि बुआई 7-8 सेमी० कि गहराई पर करते हैं ।
खाद:-
नेपियर घास अधिक मात्रा मे उपज देने के कारण अधिक मात्रा में भूमि से पोषक तत्व शोषित करता हैं । पौधों की अच्छी वृद्धि एवं अधिक उत्पादन के लिए पर्याप्त मात्रा में भूमि में पोषक तत्व विभिन्न खाद एवं उर्वरकों द्वारा देना चाहिये । सामान्य अवस्था में 120-150 किलोग्राम नाइट्रोजन और 50-70 किलोग्राम फास्फोरस प्रति वर्ष फसल मे देना चाहिये । भारतीय भूमि में पोटाश पर्याप्त मात्रा में पाया जाता हैं इसलिए नेपियर घास को पोटाश देने की आवश्यकता नही होती हैं । नाइट्रोजन और फास्फोरस की कुछ मात्रा फसल को गोबर की खाद से देना चाहिये । गोबर की खाद का प्रयोग खेत की तैयारी के समय करते हैं । नाइट्रोजन व फास्फोरस की आधी मात्रा का प्रयोग अमोनियम सल्फ़ेट और सुपर फास्फेट से करना बहुत अधिक लाभदायक हैं । अमोनियम सल्फ़ेट का प्रयोग टॉप ड्रेसिंग के रूप में प्रत्येक कटाई के बाद करना चाहिये । जिससे पौधों को नाइट्रोजन प्राप्त होता रहे । सुपर फास्फेट की सम्पूर्ण मात्रा का प्रयोग फसल की बुआई के समय प्रथम वर्ष में किया जाता हैं ।
सिचाई:-अच्छी उपज लेने के लिए खेत मे नमी पर्याप्त मात्रा मे होनी चाहिये । विशेषत: शीतकाल में पाले से बचाने के लिये गर्मी मे सूखे से बचाने के लिये प्रति कटाई के बाद इसमें सिचाई कर देनी चाहिये । हल्की भूमि में भारी भूमि की अपेक्षा सिचाई जल्दी करनी चाहिये ।वर्षा ऋतु में सिचाई की जरूरत नही होती हैं । ग्रीष्मकाल में 10-12 दिन और अन्य मौसम मे 20-25 दिन मे सिचाई करते हैं ।
मिश्रित खेती व फसल चक्र:-नेपियर घास में ऑक्जैलिक अम्ल की मात्रा अधिक होती हैं । ऑक्जैलिक अम्ल की मात्रा को कम करने के लिये इसके साथ दलहन फसल को मिश्रित रूप मे उगाते हैं । मिश्रित फसल में दो लाइन के बीच 2.0 मीटर का अन्तर रखना चाहिये । रबी में बरसीम, लुर्सन, जापानी सरसों, मैंथीं, जई, सैंजी, जौं व मटर तथा गर्मियों में लोबिया व ग्वार इस फसल के साथ मिश्रित रूप में उगा सकते हैं ।
निराई-गुड़ाई:-बुआई के 15 दिन बाद अन्धी गुड़ाई करनी चाहिये । प्रत्येक कटाई के करने के बाद देशी हल, कल्टीवेटर या फावड़े से निराई-गुड़ाई करते हैं जिससे खरपतवार नष्ट हो जाता हैं । निराई-गुड़ाई करने से खेत में पानी सोखने की शक्ति बढ़ जाती हैं । फसल की बढ़वार अच्छी होती हैं ।
कटाई:-सिचाई एवं उर्वरता का उचित रूप से प्रयोग करने पर नेपियर घास की प्रथम कटाई बुआई के लगभग 70-80 दिन बाद करते हैं । फसल की कटाई में एक बात का विशेष रखना चाहिये कि जब पौधे कि कटाई करे तब पौधा एक मीटर से अधिक ऊंचाई का ना हों । पौधे अधिक बढ़ जाने पर बहुत अधिक कड़े हो जाते हैं और अधिक पौष्टिक नही रहते हैं । और फसल कि शीघ्र कटाई करने पर फसल कि उपज पर प्रभाव पड़ता हैं । फसल कि अन्य कटाई 6-7 सप्ताह के अन्तर से कि जाती हैं । पौधे कि कटाई भूमि कि सतह से 8-10 सेमी० ऊपर से करे । सामान्य अवस्था में प्रतिवर्ष लगभग ४-६ कटाई मिल जाती हैं । फसल को दो तीन साल से अधिक समय तक एक खेत में नही रखना चाहिये ।
उपज:-नेपियर घास के हरे चारे कि उपज साधारणतया 00-1000 कुंतल/ हेक्टेयर होती हैं । परन्तु अच्छी फसल से 2500 कुंतल/हेक्टेयर उपज प्राप्त हो जाती हैं ।
Napier ki Adhik Jankari chahiye!isme beach Kaise banta hai! please reply me contact number.8120460417
जवाब देंहटाएंनेपियर घास का बीज मंगवाना हो तो कहां से मिलेगा प्लीज बताएं
हटाएंMga ha
हटाएंs.o.2 nepiyar ghas cha hiya 5kg mo 9927204513
जवाब देंहटाएंMuje Napier ghas chahie kaha milega
जवाब देंहटाएंSir mujhe nepiyar gras chahiye
हटाएंNapier chahiye ya uska seed chahiye is number per call kariye 9755452530
हटाएंएक पक्के बिना में जो २०बिशे का होता है उसमें कितने पोधे लगेंगे २-२में
हटाएंएक हैक्टयर भूमि पर यानि 10000 वर्गमीटर मे 35000-40000 पौधे रोपे जाते है जब पौधे से पौधे की दूरी 50 सेमी व लाईन से लाईन की दूरी 60 सेमी रखते है । एक एकड मे यानि 4000 वर्गमीटर मे 15-16 हजार पौधे लगेगे ।
हटाएंगऊसेवक प्रिन्स जैन सकरार झॉसी
9140811734
एक हैक्टयर भूमि पर यानि 10000 वर्गमीटर मे 35000-40000 पौधे रोपे जाते है जब पौधे से पौधे की दूरी 50 सेमी व लाईन से लाईन की दूरी 60 सेमी रखते है । एक एकड मे यानि 4000 वर्गमीटर मे 15-16 हजार पौधे लगेगे ।
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9140811734
I want to need napier grass seed ..Plz contact me 8003121999
जवाब देंहटाएंFlipkart se online
हटाएंनेपियर चाहिए कहा मिले गया 9910605911
जवाब देंहटाएंहमे भी घांस का बीज चाहिये क्रप्या काल करे
जवाब देंहटाएंHi
हटाएंNYC Ji
जवाब देंहटाएं7742778393
जवाब देंहटाएंमुझे भी नेपियरघास का बीज चाहिए ये कँहा मिलेगा मैं धार मध्यप्रदेश से हु
जवाब देंहटाएं9827399125
9414641598
हटाएंबीज से लगाने पर बढ़वार बहुत धीरे धीरे होती है अतः आप कलम द्वारा लगाए बीज प्राप्त करने के लिए agribegri.com पर जाएं
हटाएंइसका मुल्य क्या हैं
जवाब देंहटाएंHello sir i need Napier stems please call me on +919755452530 thanks
जवाब देंहटाएंFlipkart se online
हटाएंबीज से लगाने पर बढ़वार बहुत धीरे धीरे होती है अतः आप कलम द्वारा लगाए बीज प्राप्त करने के लिए agribegri.com पर जाएं
हटाएंमुझे नेपियर का बीज चाहिए कॉल करे प्लीज
जवाब देंहटाएं8850094373
Prince rai
हटाएंमुझे नेपियर का बीज चाहिए काल करे प्लीज 6202766221
हटाएंMuze Napier ghas chahiye
जवाब देंहटाएंContact 6203210183
Muze Napier ghas chahiye UP 9503464017
जवाब देंहटाएंMujhe bij chaye punjab pathankot 7986259178
जवाब देंहटाएंMy name kishan singh bailpokhra nainital uttrakhand pin 263140 my comnet number 8218899237
जवाब देंहटाएंMuje.bi nepiya gash chaye
जवाब देंहटाएंSir me jabalpur se hu mere ko bhi nepiyar Ghas ka seed chahiye please contact me6265195090
जवाब देंहटाएंमुझे नेपियर घास चाहिए गोरखपुर में contact me 7754921771
जवाब देंहटाएंNice ji
जवाब देंहटाएंमुझे नेपीयर घास चाहिए कहा मीलेगा 9770210230
जवाब देंहटाएंFlipkart se online
हटाएंमुझे भी नेपियर घास चाहिए था कहाँ मिलेगा फोन नम्बर 9451000199
जवाब देंहटाएं9120868700
Agribegri.com
हटाएंमुझे भी सुपर नेपियर घास बीज चाहिए कहाँ मिलेगा मेरा फोन नम्बर 9827874860 में राजस्थान से हु
जवाब देंहटाएंBhilwara मुझे नेपियर घास का बीज चाहिए मुझसे संपर्क करें 9680391680 कैलाश बाबरिया
जवाब देंहटाएंMujhe nepiyar ghas chahiye jharkhand me kaha milega?
जवाब देंहटाएंWhere is availablity of napier grass ..8950821021
जवाब देंहटाएंMahoday yah bhi Ham Logon Ko kahan se milega kripya bataen
जवाब देंहटाएंMujhe bhi Napier grass ka beej chahiye
जवाब देंहटाएंContact no. 9717452174
सर हमें भी नेपियर घास चाहिए प्लीज बताइए कहां पर मिलेगी कहां से लेकर आए
जवाब देंहटाएंMere paas hai call kijiye 8449343084
हटाएंनमस्कार सर जी मे भगीरथ यादव जयपुर से सर मुझे नेपियर घास का बीज चाहिय कैसे मिल सकता है
जवाब देंहटाएंKitna chaahiye no do
हटाएंमेरे नंबर है96803304012
जवाब देंहटाएंSeed rate please
जवाब देंहटाएंSomething 2 rs pr
जवाब देंहटाएंHme bhi grass chahiye
जवाब देंहटाएंCall now 9667280134
जवाब देंहटाएंNepiyar ghaas chahiy mughy been.. Please call kry mobail no. 9758028050
जवाब देंहटाएंHills area me konsi grass uttam Mani jati hai.
जवाब देंहटाएंNaresh Singh
जवाब देंहटाएंमुझे भी नेपियर घास चाहिए कैसे मिलेगी
जवाब देंहटाएंनेपियर घास का बीज चाहिए 7982732129
जवाब देंहटाएंमुझे भी नेपियर घास का बीज चाहिए 8810691751
जवाब देंहटाएंमुझे नेपियर घास का बीज चाहिए 7974501362
जवाब देंहटाएंनेपियर घास का बीज चाहिए 7974501362
जवाब देंहटाएंमुझे भी नेपियर ग्रास की कलम चाहिए, मेरठ उत्तर प्रेदेश में कहा मिलेगी।
जवाब देंहटाएं7017994805
जवाब देंहटाएंKonsa time best rehega buhay me
जवाब देंहटाएंMai jharkhand se hu. Mujhe Nepier ghas chahiye. Meta contact number 9472570140 hai. Please contact sir.
जवाब देंहटाएंसुपर नेपियर के बीच तो मंगा लिया सर लेकिन उस की बुवाई कैसे करें
जवाब देंहटाएंSuper nepiar grass jharkhand me khs melega
जवाब देंहटाएंइसको सुखा कर भी काम ले सकते हैं क्या
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