बुधवार, 27 सितंबर 2017

मृदा परीक्षण

परिचय:-
मिट्टी का रासायनिक परीक्षण करवाने के लिए पहली आवश्यक बात है कि खेत से मिट्टी का सही नमूना लेना । अलग-अलग खेतों की मृदा में आपस में भिन्नता तो होती ही है, बल्कि एक खेत में अलग-अलग स्थानों की मृदा में भी भिन्नता हो सकती है । मिट्टी परीक्षण करवाने के लिये खेत से मृदा का नमूना सही लेना चाहिए । मृदा का लिया गया नमूना गलत लेने से परिणाम भी गलत मिलते हैं । खेत की उर्वराशक्ति की जानकारी करने के लिए ध्यान देने योग्य बात यह है कि परीक्षण के लिए मिट्टी का जो नमूना लिया गया है, वह आपके खेत के हर हिस्से का प्रतिनिधित्व करता हो ।
 
नमूना लेने के उद्देश्य:-
  • फसल में रासायनिक खाद का प्रयोग करने से पहले सही मात्रा को निर्धारित करना
  • ऊसर अम्लीय भूमि को सुधारने तथा उसे उपजाऊ बनाने के लिए सही तरीका जानना 
  • बाग़ पेड़ लगाने के लिये भूमि की अनुकूलता जानना
रासायनिक खादों के प्रयोग के लिये नमूना लेना:-
 
समान भूमि की निशानदेही:- भूमि का जो भी भाग देखने में अलग-अलग दिखाई देता हो जैसे - मृदा की किस्म, फसलों के आधार पर, जल निकास फसलों की उपज आदि । उस प्रत्येक भाग की चिन्हित करले और प्रत्येक भाग का नमूना लेना चाहिये
 
नमूना लेने के औजार:- मृदा का सफल नमूना लेने के लिये मृदा परीक्षण ट्यूब, फावड़ा तथा खुरपे का प्रयोग किया जा सकता है
नमूना एकत्रित करने की विधि:- सबसे पहले मृदा के ऊपर की घास-फूस को साफ़ करें । भूमि की सतह से हल की गहराई (0-15 सें.मी.) तक रसायनिक परीक्षण के लिए मृदा का नमूना लेना हैं । नमूना ट्यूब या बर्मा द्वारा लेना हैं तो मृदा की एकसार टुकड़ी लें । फावड़े या खुरपे से नमूना लेने के लिए V आकार का 15 सें.मी. गहरा गड्ढा बनायें । अब एक ओर से ऊपर से नीचे तक 2-3 सें.मी. मोटाई की मिट्टी की एकसार टुकड़ी काटें । एक खेत में से 10-12 अलग-अलग जगह (बेतरतीब ठिकानों) से मृदा की टुकड़ी लेनी हैं और उन सब को साफ़ कपड़े में इकट्ठा कर ले
    अगर खड़ी फसल से नमूना लेना हो, तो मृदा का नमूना पौधों की कतारों के बीच वाली खाली जगह से लें । जब खेत में क्यारियाँ बना दी गई हों या कतारों में खाद डाल दी गई हो तो मृदा का नमूना लेने के लिए विशेष सावधानी रखनी चाहिये
 
नोट:- जिस जगह में, लाइन या पट्टी में रासायनिक खाद का प्रयोग किया गया हो उस स्थान से नमूना ना लें । जिन स्थान पर पुरानी बाड़, सड़क हो, जहां गोबर खाद का पहले ढेर लगाया गया हो या गोबर खाद डाली गई हो, वहां से भी मृदा का नमूना नही लेना चाहिये ऐसे स्थान से भी नमूना ना लें, जो दूसरे खेत से भिन्न हों । अगर ऐसा नमूना लेना हों, तो इसका नमूना अलग लेना चाहिये
 
मिट्टी को मिलाना और एक ठीक नमूना बनाना:- सबसे पहले एक खेत से अलग-अलग जगह से लिये हुए मृदा नमूने को छाया में फैलाकर सुखाते हैं मृदा नमूने को धूप, आग या अंगीठी आदि के ऊपर रखकर नही सुखाना चाहिये मृदा नमूने को एक जगह मिलाकर अच्छी तरह से मिश्रित करते हैं । मिश्रित किए हुए नमूने में से लगभग आधा किलोग्राम से 1 किलोग्राम मृदा का नमूना एक बैंग में भर लेते हैं लिया गया नमूना पूरे (समूचे) खेत का प्रतिनिधित्व करता हो ।
 
लेबल लगाना:- मृदा नमूने के साथ नाम, पता और खेत के नम्बर का लेबल लगायें । अपने रिकार्ड के लिये भी उसकी एक नकल रख लें । दो लेबल तैयार करेंएक थैली के अंदर डालें और दूसरा बैग के बाहर लगाये
 
सूचना पर्चा:- खेत खेत की फसलों का पूरा ब्यौरा सूचना पर्चा में लिखें । यह सूचना आपकी मृदा की रिपोर्ट सिफारिश को अधिक लाभकारी बनाने में सहायक होती हैं । सूचना पर्चा कृषि विभाग के अधिकारी से प्राप्त किया जा सकता है । मृदा के नमूने के साथ सूचना पर्चा में निम्नलिखित बातों की जानकारी आवश्य दें ।
 
खेत का नम्बर या नाम:-
अपना पता:
नमूने का प्रयोग (बीज वाली फसल और किस्म):
मृदा का स्थानीय नाम:
भूमि की किस्म (सिंचाई वाली या बारानी):
सिंचाई का साधन:
प्राकृतिक निकास और भूमि के नीचे पानी की गहराई:
भूमि का ढलान:
फसलों की अदल-बदल:
खादों या रसायनों का ब्यौरा, जिसका प्रयोग किया गया हो:
कोई और समस्या, जो भूमि से सम्बन्धित हो:
 
नोट:- तीन साल के बाद भूमि की मृदा का परीक्षण करवाना जरूरी होता हैं एक पूरी फसल-चक्र के बाद मृदा का परीक्षण होन अनिवार्य है । हल्की या नुकसानदार भूमि की मृदा के परीक्षण की अधिक आवश्यकता है ।

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