शनिवार, 30 सितंबर 2017

बाजरा

संकर जातियाँ:- पूसा-322 (फसल अवधि 75-80 दिन, हरे चारे की उपज 250 क्विंटल/हेक्टेयर), NP-3, NB-17, NB-18, NB-21, NB-25 PHB-12- सभी की उपज अधिक प्रोटीन की मात्रा अधिक आक्जैलिक अम्ल की मात्रा कम होती हैं MH-30, BJ-105 अन्य उन्नत किस्में हैं
संकुल जातियाँ:- क्म्पोजिट-6 (400 क्विंटल प्रति हेक्टेयर हरा चारा या 80 क्विंटल प्रति हेक्टेयर कड़बी, 1.9% आक्जैलिक अम्ल )
एक काट वाली जातियाँ:- K-674, K-677, L-72, L-74, आनंद S 11
अन्य उन्नत जातियाँ:- UPFB-1, पूसा मोती, G/2, G/5 (सूखा सहन कारती हैं), DL-454, DL-532, DL-36 (क्षारीय भूमि में), T-55, S-530, A1/30, HB-1, HB-2, HB-3, HB-4, 5530, राज बाजरा चरी-2, चूम्बू (TNSC-1)
बोने का समय:-
जायद की (ग्रीष्मकालीन) बुआई मार्च से 15 जून तक करते हैं । खरीफ की बुआई 15 जून से 15 अगस्त तक करते हैं
बीज दर:-
चारे के लिए बाजरे का बीज 20-25 किलोग्राम/हेक्टेयर बोया जाता हैं
बोने की विधि:-
बाजरे की बुआई सदैव पंक्ति में करनी चाहिये । इसमे पंक्ति से पंक्ति की दूरी 20-25 सेमी० होनी चाहिये । बोआई हल की सहायता से की जाती हैं । बीज बोने वाली मशीन से बुआई करना बहुत अच्छा रहता हैं
खाद एवं उर्वरक:- चारे के लिए बाजरे में अधिक खाद की आवश्यकता होती हैं । खरीफ में नाइट्रोजन 90-100 किलोग्राम और फास्फोरस 30-40 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर प्रयोग करते हैं । नाइट्रोजन की आधी मात्रा बुआई के समय शेष मात्रा 3-4 बार देनी चाहिए और फास्फोरस की मात्रा बुआई के समय पूरी देनी चाहिए । संकर किस्म में नाइट्रोजन 120 किलोग्राम, असिंचित शुष्क स्थानों में नाइट्रोजन 60-80 किलोग्राम सिंचित स्थानों पर 160 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से प्रयोग करते हैं । जौधपुर की मरुभूमि में बाजरे के लिये सामान्यत: 30 किलोग्राम आयरन सल्फ़ेट और 15 किलोग्राम मैंगनीज सल्फ़ेट प्रति हेक्टेयर प्रयोग करते हैं
निराई-गुड़ाई:-
साधारणतया बाजरे में निराई नही की जाती हैं । अगर एक - दो निराई कर दी जाए तो दोजियां (Tillering) अधिक फूटती हैं । रसायनिक विधि से खरपतवार नियन्त्रण के लिए अध्याय 4 देखे |
कटाई:-
वर्षा ऋतु में बोने पर फसल 55-65 दिन में कटाई के लिए तैयार हो जाती हैं । बाजरे को शीघ्र या देर से बोने पर चारे के लिये तैयार होने में 45-60 दिन लगते हैं । कड़वी के लिये बाजरा बुआई से 70-75 दिन में जब दाना दुग्धावस्था में होता हैं तब काटा जाता हैं । काटने के बाद जमा करने से पूर्व सुखाना आवश्यक हैं
उपज:-
संकर किस्म की उपज 550-600 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती हैं । सिंचित भागों में में 700-800 क्विंटल प्रति हक्टेयर चारा मिलता हैं । दाने के लिये उगायी गयी फसल में दाने के अतिरिक्त कड़वी की उपज 50-60 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती हैं
नोट:- ज्वार, बाजरा, मक्का, जई में अशिम्बी (Non- Legume) बैक्टीरिया से उपचार करने पर इनके चारे की उपज में 10-25 % तक की वृद्धि होती हैं

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